वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

Breaking

बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Mar 21, 2010

हमारे गाँव से आयी पाती..............

  आदरणीय,  बड़े भाई श्री कृष्ण कुमार मिश्र जी।
गौरैया संरक्षण को लेकर आप के बहुतेरे एस एम एस मुझे प्राप्त हुए। एस एम एस से गौरैया को बचाने के
लिये जो मुझे प्रेरणा मिली उससे हम अभिभूत है। 18 मार्च की मुलाकात ने मुझे गौरैया संरक्षण पर कार्य करने का जो हौसला दिलाया उसी हौसले के साथ हमारे साथियों ने हर हाल में अपने आंगन की चिड़िया को बचाने का संकल्प लिया।
    मितौली नगर युवक कांग्रेस के अघ्यक्ष अमित गुप्ता के आवास पर हुई 18 मार्च को आपकी मुलाकात हमारे साथ-साथ हमारे अन्य साथियों को भी उर्जावान बना गयीं, क्योंकि विश्व गौरैया दिवस पर हम लोग जो  कार्यक्रम करने वाले थे उसके लिये हमे एक प्रेरणा स्त्रोत की जरूरत थी जो आपके प्रयास से पूरी हो चूकी थी। कार्यक्रम की रूपरेखा तय करते समय हम लोगों ने यह उम्मीद नही की थी कि गौरैया संरक्षण पर 20 मार्च को होने वाला सेमिनार इतना बृहद हो जायेगा। आप सब के सहयोग से कार्यक्रम को जो ऊंचाईयां मिली उसके लिये मै आपके साथ-साथ गौरैया बचाने की मुहिम में अहम भूमिका निभाने वाले रामेन्द्र जनवार,युवराज दत्त महाविद्यालय के हिन्दी के प्रवक्ता डा0 सत्येन्द्र दुबे, मयंक बाजपेई का बहुत-बहुत आभारी हूं। जिन्होने कार्यक्रम में शिरकत कर गौरैया संरक्षण पर आयोजित सेमिनार को सफल बनाया।  इसके पहले क्षेत्र के उन तमाम गणमान्य लोगों को भी बधाई देना चाहूंगा जिन्होने मेरे एक बुलावे पर अपने ब्यस्त कार्यक्रम में से गौरैया के लिये समय निकाला। खण्ड़ विकास अधिकारी मितौली हरिश्चन्द्र व ब्लाक प्रमुख डा0 नरेन्द्र सिंह, को भी धन्यवाद देना चाहूंगा क्योकि हमारे साथियों ने जब फोन पर ब्लाक सभागार में सेमिनार करने की बात वीडीओ व प्रमुख से की तो दानों ने ही बिना हिचकिचाहट के कार्यक्रम कराने की हामी भर दी। दोनों लागों ने कार्यक्रम में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर संरक्षण में कदम से कदम मिलाकर चलने की बात कहीं । जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षकों का भी बहुत-बहुत आभारी हूं जिन्होने एक कुशल वक्ता के रूप में सेमिनार को सम्बोधित किया। कार्यक्रम को सफल व असफल का आंकलन करने की हम लोगों की हिम्मत नही। लेकिन खचाखच भरे ब्लाक सभागार, वक्ताओं के स्नेह ने हमें जरूर ही सफलता का रास्ता दिखाया है। अखबारों की सुर्खियों से हमें गौरैया संरक्षण के लिये महत्व पूर्ण बल मिला है। क्योंकि समाचार की सुर्खियों ने जो जागरूक्ता लोगों में फैलाई है वहीं हमारी सफलता और मेहनत का आईना है। शायद आप को भी जानकर यह हर्ष होगा अब तमाम लोग गौरैया संरक्षण के लिये आगे आये है। क्षेत्र के गांवों से भी हमें इस तरह के सकारात्मक संदेश मिल रहा है। कोई कहता कि गौरैया के कई घोसलें हमारे घर में है, तो कोई कहता है कि हमने वर्षो पहले गौरैया देखी थी। हमें भी अपनी आने वाली पीढ़ी के लिये गौरैया बचाना है कोई संदेश देता है कि अखवार में खबर पढते ही  मैने भी सुबह गौरैया के लिये दाने डालना शुरू कर दिया है। क्षेत्र के गांव अवधपुर, रौतापुर, गहियापुरवा, बबौना, आदि दर्जनों गावों में गौरैया के झुन्डों को लोग दाना डाल रहे है। के के भाई साहब मै किन शब्दों में धन्यवाद दूं, किन शब्दों में अमित गुप्ता का आभार ब्यक्त करू मेरे पास शब्द नही है। 20 मार्च के पहले जो प्रयास हम लोगों ने किये वह साकार होते दिखाई पड़ रहे है। जो जन समर्थन सेमिनार के पहले मिल रहा था उससे कहीं ज्यादा अब मिल रहा है। मैने आप सब के सहयोग से क्षेत्र में गौरैया संरक्षण की मुहिम जारी रखने की कोशिश करता रहूंगा इसी आशा और विश्वास के साथ  हम अपनी टीम और क्षेत्र के उन तमाम लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा। जिन लोगों ने मुहिम में साथ चलने के लिये कदम बढायें है। जन समर्थन के बल बूते पर गर्व से इतना जरूर कहना चाहूंगा कि अब गौरैया हमारे ही नही सब के घर की चिड़िया बनकर ही रहेगी। हर आंगन में गौरैया फुदके यही हमारा प्रयास रहेगा। के के भाई साहब सेमिनार को सम्बोधित करते हुये जो शब्द आप ने कहे वो शब्द मरे जेहन में उतर गयें । आप ने कहा कि ‘‘ गौरैया के साथ-साथ हमें अपनी संस्कृति को भी बचाना है। फुदकना , चहकना ये जो शब्द हमारे जीवन से विलुप्त हो रहें है। उन्हें भी हमें बचाना है।‘‘ ये शब्द हमें ही नही हर मानव जाति को झकझोर देने वाले है। मै एक बार फिर आपको आश्वस्थ करना चाहूंगा कि गौरैया संरक्षण के लिये मितौली कों केन्द्र बनाने का निर्णय जीते जी गलत नही साबित होने दूंगा।

सर्वेश कटियार (  लेखक हिन्दुस्तान दैनिक में मितौली नगर में संवाददाता है, सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते है, इनसे, sarvesh_htmitauli@rediffmail.com ,  सेलुलर - 9839727715, 9454548181 पर कर सकते हैं।)                                                                            

2 comments:

आप के विचार!

जर्मनी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार "द बॉब्स" से सम्मानित पत्रिका "दुधवा लाइव"

हस्तियां

पदम भूषण बिली अर्जन सिंह
दुधवा लाइव डेस्क* नव-वर्ष के पहले दिन बाघ संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महा-पुरूष पदमभूषण बिली अर्जन सिंह

एक ब्राजीलियन महिला की यादों में टाइगरमैन बिली अर्जन सिंह
टाइगरमैन पदमभूषण स्व० बिली अर्जन सिंह और मैरी मुलर की बातचीत पर आधारित इंटरव्यू:

मुद्दा

क्या खत्म हो जायेगा भारतीय बाघ
कृष्ण कुमार मिश्र* धरती पर बाघों के उत्थान व पतन की करूण कथा:

दुधवा में गैडों का जीवन नहीं रहा सुरक्षित
देवेन्द्र प्रकाश मिश्र* पूर्वजों की धरती पर से एक सदी पूर्व विलुप्त हो चुके एक सींग वाले भारतीय गैंडा

Post Top Ad

Your Ad Spot