डेस्क* गौरैया नही हम निकले है रिहाइशी इलाकों के बाघ बचाने, क्या आप हमारे साथ है, गौरैया बची रही तो हमारे ग्रामीण व शहरी परिवेश में के सभी जीव-जन्तु बचे रहेगे!- कृष्ण कुमार मिश्र
“गौरैया बचाओ अभियान” के तहत दुधवा लाइव के तत्वाधान में मोहम्मदी हुई बैठक-
मोहम्मदी, दुधवा लाइव डाट काम एवं श्री श्याम जी सेवा संस्थान द्वारा बेलहा फ़ार्म मोहम्मदी में गौरैया बचाओ अभियान के तहत एक गोष्ठी आयोजित की गयी, क्षेत्र तमाम ग्रामीणों ने इस मुहिम में अपना योगदान देना सुनश्चित किया है. बैठक में कृष्ण कुमार मिश्र, सरल पाण्डेय, संत कुमार तिवारी, व् राघवेन्द्र सिंह ओझा ने जिला मुख्यालय से पहुंच कर पक्षी सरंक्षण के संबध में परिचर्चा की. बेलहा फ़ार्म के मालिक रईस अहमद की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ, परिचर्चा में शौकत अली, सतपाल सिंह आदि ने भाग लिया. चर्चा में जहरीले रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग, घरों का बदलता स्वरूप, और घरों में किचन गार्डन का न होना, गौरैया की विलुप्ति का कारण बन रहा हैं. कृष्ण कुमार मिश्र ने बताया की गौरैया की विलुप्ति में मुख्य कारण है उनके चूजों, के लिए समुचित आहार में कमी, क्योंकि पेस्टीसाइड के प्रयोग से मानव आबादी में कीड़े-मकोडो की तमाम प्रजातियां नष्ट हो गयी जो आहार था इन पक्षियों की संततियो का. घरों में घोसले बनाने की जगहों का न होना और घरों में विदेशी प्रजातियों के पेड़-पौधों की आमद की मुख्य भूमिका है हमारी रिहाइशी जैव-विविधता को नष्ट करने में. गौरैया या किसी एनी पक्षी को नमक मिली हुई व् तैलीय चीजो को खाने के लिए न दे, अत्यधिक नमक इनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है. अनाज के दाने आदि का इस्तेमाल करे. गौरैया सूचक है हमारे घरों के आस-पास की जैव-विविधता का, यदि हम गौरैया को बचा लेगें तो वह सारे जीव-जंतु बच सकेंगे जो हमारे घरों और खेत-खलिहानों में रहते है.
बैठक में वर्ष भर के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गयी व् रईस अहमद व् वन्य जीव फोटोग्राफर सतपाल सिंह ने कहां कि पूरे वर्ष पक्षी सरंक्षण के लिए क्षेत्र वासियों को प्रेरित करेंगे और वह सारे प्रयास भी जो हमारी जैव-विविधता के संवर्धन में जरूरी है. बेलहा फ़ार्म प्राकृतिक तौर पर काफी समृद्ध है, पक्षियों और तितलियों की तमाम प्रजातियां इस जगह को अपना आवास बनाए हुए है.
गौरैया बचाओ अभियान-सार्थक पहल!! शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं...इस काम को देखकर मुणव्वर राणा साहब का एक शेर याद आ गया-
ReplyDeleteनये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है
परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है
हमीं गिरती हुई दीवार को थामे रहें वरना
सलीके से बुजुर्गो की निशानी कौन रखता है