©कृष्ण कुमार मिश्र |
सन १९७९ में एशियन स्पेशियालिस्ट ग्रुप ने गैंडों के पुनर्वासन पर विचार किया और इसी आधार पर आई०यू०सी०एन० राइनो स्पेशियालिस्ट ग्रुप व इंडियन बोर्ड फ़ार वाइल्ड लाइफ़ ने दुधवा नेशनल पार्क में राइनो री-इन्ट्रोडक्शन (गैंडा पुनर्वासन) के कार्यक्रम की शुरूवात की। सन १९८४ ई० में आसाम की वाइल्ड लाइफ़ सेंक्चुरी से पांच गैंडें दुधवा के जंगलों में लाये गये, यह तारीख थी ३० मार्च, सन १९८४।
सन १९८५ में गैंडा पुनर्वास के तहत द्वतीय चरण में नेपाल से चार मादा गैंडा, १६ भारतीय पालतू हाथियों के बदले मंगाए गये। ताकि गैंडा प्रजाति में जैव-विविधता बरकरार रहे। इस प्रजाति के नौ सदस्यों से की गयी पुनर्वासन की शुरूवात, अब तमाम झंझावातों के बावजूद सफ़लता की राह पर है। गैंडा प्रजाति के ३० सदस्य इस बात के सूचक है, कि दुधवा की धरती ने इन्हे पूरी तरह से स्वीकार लिया, इनके पूर्वजों की तरह।
nice
ReplyDeleteखुशखबरी देने के लिए धन्यवाद ............... दुधवा और हमारे दोनों के लिए अच्छी खबर हैं.......
ReplyDeletevery nice
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