ऋषभ त्यागी* गौरैया बचाओ की मुहिम का हिस्सा बनकर मुझे बेहद ख़ुशी है. मैंने भी कुछ लिखना चाहा
परन्तु कुछ समझ नही आया तो तुकबंदी बनाकर एक छोटी सी कविता लिख डाली. कविता में छिपे भाव को समझें और गौरैया बचाओ मुहिम में अपना योगदान दे-
परन्तु कुछ समझ नही आया तो तुकबंदी बनाकर एक छोटी सी कविता लिख डाली. कविता में छिपे भाव को समझें और गौरैया बचाओ मुहिम में अपना योगदान दे-
खीरी हो या हो औरैया,
नहीं दिखती कही गौरैया.
जाग जाओ सभी बहन भैया,
तभी करेगी हर घर आंगन में प्यारी गौरैया छैय्या छैय्या।
ये रहेगी तो जग रहेगा,
जग रहेगा तो हम रहेंगे.
तो आओ सब मिलकर लक्ष्य बनायें,
नन्हीं गौरैया को हर हाल में बचाएं ।
ऋषभ त्यागी (लेखक: राष्ट्रीय सहारा - हिंदी दैनिक लखीमपुर के ब्यूरो प्रभारी हैं. इनसेrishabh.lakhimpur@gmail .com पर संपर्क कर सकते हैं)
एक सुन्दर कविता जिसे गाकर लोगों को आकर्षित किया ज सकता इस खूबसूरत पक्षी के प्रति!
ReplyDeletenice
ReplyDeletekavita se bhi kahi jada sundar bhav hai tyagi ji.umeed hai ki aap ka sandesh door tak jayega.shubhkamnayen
ReplyDeletetyagi ji aapko aur kk misrhra ji dono ko bahut abhar.khas bat ye hai ki kisi ne wild life ko lekar pahli bar koi aisa andolan chalaya hai ..jis se sab judna chahte hai
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