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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Feb 21, 2010

प्रकृति के सौन्दर्य से उपजी मानव मस्तिष्क में कविता

Photo by: ©Krishna Kumar Mishra*
गौरव गिरि* प्रकृति के सौन्दर्य ने मानव मस्तिष्क में शब्दों का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया।
जंगल में:-
इन खामोश जंगलों की
बेइंतहा खूबसूरती को
अक्सर महसूस किया है मैने,
उन राहों से गुजरते हुए
जो बनायी हैं, प्रकृति ने
अपने हसीन सहचरों के लिए
घने पेड़ों से झांकती हुई

नाजुक सुनहरी किरणों को
जीवन में देखा है मैने
उमंगो की तरह
उसकी गहनता ने प्रेरित किया है
मुझे विचारों की महानता से
और खामोशी से सीखा है
जीवन में आत्म-विवेचन

गौरव गिरि (लेखक बज़रखा शिव-मन्दिर ट्रस्ट के महन्त हैं, जिला खीरी में रहते हैं, इनसे 09005200709 पर संपर्क कर सकते हैं)
*तस्वीर बजरखा शिव-मन्दिर की है जो तकरीबन चार वर्ष पूर्व ©कृष्ण कुमार मिश्र द्वारा खींची गयी थी।

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