वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Feb 3, 2010

शहर के नज़दीक पहुँचा जंगल का राजा

दुधवा लाइव डेस्क: 02/02/2010 लखीमपुर-खीरी,  जिला मुख्यालय से तकरीबन १० कि०मी० उत्तर में उल्ल नदी और कण्डवा नदी के मध्य स्थित रुद्रपुर गाँव में बाघ देखे जानें से ग्रामीणों में दहशत का महौल है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब एक ग्रामीण गन्ने के खेत में शौच के लिए गया था अचानक उसने पीछे मुड़ कर देखा तो एक विशाल धारीदार जानवर दिखाई पड़ा। उस व्यक्ति के मुताबिक, बड़े सिर वाला जानवर उसकी किसी हरकत से पहले  एक ही छलांग में गन्ने के खेतों में गायब हो गया।
वन-विभाग के कर्मचारी सूचना प्राप्त होते ही मौके पर पहुँचे, पर उन्होंने बाघ की मौजूदगी की संभावना को पूरी तरह नकार दिया है। जबकि ग्रामीणों के दहशतजदा चेहरे और  उस जानवर को देखने का दावा करने वाले व्यक्ति  के शब्द, कही न कही कुछ तो होने की गवाही दे रहे थे।
वन्य जीव विशेषज्ञ और मीडियाकर्मियों ने गाँव वालों के साथ गन्ने के खेत का जायजा लिया जहाँ बाघ देखे जाने की बात कही गयी थी, किन्तु जमीन सख्त होने व  गन्ने की सूखी पत्तियों की मौजूदगी की वजह से जानवर के पद-चिन्हों को नही बनने दिया, जिससे उसके होने की पुष्टि की जा सके।
चूँकि ये इलाका शारदा जैसी विशाल नदी के दक्षिणी भाग में है जहां कई छोटी नदियाँ और उनके किनारों पर श्रंखलाबद्ध वृक्ष व झाड़िया है, साथ ही इस इलाके में गन्ने की बहुतायात में खेती भी इस जानवर के लिये बेहतर हविटेट है जो उसे जंगल के ग्रासलैंण्ड का एहसास कराते होंगे। अतीत में इस ट्रैक से कई जंगली जानवरों के गुजरने की घटनायें हो चुकी है, जिनमें बाघ, तेन्दुआ व गैन्डा ये तीनों जानवरों ने समीप के जनपद सीतापुर व लखनऊ तक पहुंचने की घटनायें हुई हैं।
खीरी जनपद के दक्षिण खीरी वन प्रभाग के अन्तर्गत आने वाला यह क्षेत्र  कभी जंगलों का हिस्सा था किन्तु बहुत जल्द ही मानव आबादी ने जंगलों का सफ़ाया कर कृषि-भूमि तैयार की गांव के गांव बसते चले गये।
वन-विभाग को लगातार इस इलाके पर नज़र रखनी चाहिए और लोगों को भी शान्ति बनाये रखनी चाहिए ताकि यह जानवर जंगल में दोबारा वापस जा सके।

7 comments:

  1. Swagat hai..lakhinpur khiri gayi hun..kuchh yaaden taza kara deen!

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  2. Dudhwa National park dekh hai..chitran aankhon ke saamne se ghoom gaya!

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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  4. बहुत अच्छी जानकारी दी है अगर आप वही के निवासी है तो कोशिश करियेगा कि वहां के लोग डर की वजह उस टाइगर को जो हमारा राष्ट्रीय पशु भी है उसको कोई नुकसान न पहुचे। क्योंकि आपको पता होगा कि पूरे देश में सिर्फ1411 बाघ ही बचे है। जिसके पीछे हमे यानी मनुष्य है

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  5. वधाई...इस साईट को शुरु करने के लिए। हमें उम्मीद है कि हिंदी में पढ़नेवाले लोगों के बीच ये साईट नई जानकारियों और जागरुकताओं का स्रोत बनेगी। लोग इससे जुड़ेगें और एक नई क्रान्ति की शुरुआत करेंगे। ये साईट नई बुलंदियों को छुए, हमारी यहीं कामना है।

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  6. Very nice site for latest information about on Dudhwa.

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  7. यह बहुत अच्छी शुरुआत है । इसमें अन्य लोगों के विचार और अन्य क्षेत्रों के समाचार भी सम्मिलित करें । पर्यावरन विदों और सामाजिक चेतना से जुड़े लोगों को भी आमंत्रित करें । एक ऐसा नेटवर्क तैयार करें कि लगातार सामग्री मिलती रहे । शुभकामनायें - शरद कोकास , दुर्ग छत्तीसगढ़

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